रामायण कथा हिंदी - रामायण - रामायण हिंदी - रामायण की कहानी हमारी जुबानी [Part 1]

रामायण - श्री रामायण - रामायण कथा हिंदी - रामायण हिंदी - [Part 1]



आज के लेख में आपको रामायण कथा हिंदी और रामायण की कहानी , रामायण कथा शुरू से अंत तक के बारे में बताने वाले है. जिसमे रामायण शुरू से लेकर अंत तक जिसमे रामायण ताड़का वधसीता स्वयंवर रामायण और रामायण सीता हरणराम वनवास रामायणरामायण सुंदरकांडरामायण लंका दहनरामायण लक्ष्मण शक्तिरामायण मेघनाथ वध और रामायण युद्ध इस प्रकार सम्पूर्ण रामायण की कथा (संपूर्ण रामायण 1961) के बारे में जानकारी देंगे. 


इसके साथ ही रामायण के रचयिता कौन है (Ramayan Ke Rachyita Kaun Hai) और रामायण किसने लिखा (Ramayan Kisne Likhi Thi) इस प्रकार के आपके सवालो के जवाब भी इसमें शामिल करेंगे. 



रामायण कथा सुरु से अंत तक
रामायण कथा सुरु से अंत तक



अन्य : शिव जी के मंत्र श्री शिवाय नमस्तोभ्यम मंत्र के फायदे



रामायण शुरू से - रामायण जी – Ramayan In Hindi – Ramayan Ki Kahani



रामायण यह ग्रन्थ सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति के लिए एक सबसे बड़ी सिख है. रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन चरित्र के बारे में विशेष चित्रण मिलता है. उसके साथ ही हनुमान की अपार भक्ति, लक्ष्मण के अपने भाई के लिए प्रेम, भरत का अपने भ्राता के लिए किये गया त्याग, श्त्रुग्न की कृतज्ञता के बारे में विशेष चित्रण मिलता है. 


उसी प्रकार से माता कौशल्या के मातृत्व की छबि, सीता के पत्नीव्रता धर्म, राजा दशरथ के वचन बद्धता, राम के पिता की आज्ञा का पालन, रावन के ज्ञानी होने के साथ ही उसकी मुर्खतापूर्ण कार्य आदि के साथ हमारे जीवन से जुड़े कुछ सत्य को चित्रित किया गया है.


लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला के वियोग के बारे में जो चित्रण इसमें मिलता है वो किसी भी पत्नी को अपने पति के लिए जो प्रेम है उसे और भी अधिक बढ़ा देता है. विभीषण का सत्य के प्रति निडरता से खड़ा होना और राम के प्रति उनकी निष्ठा को भी इसमें विश्लेषित किया गया है.


इस प्रकार से रामायण की कहानी हमारे जीवन से जुडी है. आप यदि गौर से देखे तो आपको अपने इर्द गिर्द ऐसे रामायण से मिलते जुलते प्रसंग अपने आस-पास दिखाई देंगे. रामायण के अनमोल वचन हमें जीवन में अपनाकर अपने जीवन को सफल बना सकते है.

 

रामायण-कथा-हिंदी
रामायण कथा हिंदी


जैसा की हमारा आज का लेख रामायण कथा हिंदी के बारे में है उसमे Ramayan Ki Kahani शुरू से लेकर अंत तक निचे टेबल ऑफ़ कंटेंट के आधार पर बताई जाएगी.


Table Of Content About रामायण की कहानी हमारी जुबानी

 

  • रामायण के रचयिता कौन है - Ramayan Ke Rachyita Kaun Hai – Ramayan Kisne Likha सम्पूर्ण जानकारी

  • रामायण के रचयिता कौन है - Ramayan Ke Rachyita Kaun Hai – Ramayan Kisne Likha सम्पूर्ण जानकारी

  • रामायण किसने लिखा - Ramayan Kisne Likhi Thi - सम्पूर्ण जानकारी

  • रामायण की कथा - रामायण की कहानी - रामायण शुरू से अंत तक संक्षित में

  • रामायण की कहानी - रामायण की कथा - रामायण शुरू से अंत तक विस्तार से


तो आइये अपनी रामायण की यात्रा सुरु करते है......!


संपूर्ण-रामायण-1961
संपूर्ण रामायण 1961





रामायण के रचयिता कौन है -  Ramayan Kisne Likha सम्पूर्ण जानकारी 



हमारे लेख रामायण कथा हिंदी और रामायण की कहानी में आपको रामायण के रचयिता कौन है इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाएगी.


हिंदू धर्म की पवित् मूल श्रीरामचरितमानस के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी थे। श्री हारिजी की कृपा से श्रीमद्रस्वामी तुलसीदासविरचित द्वारा संस्कृत में लिखी गई।

रामायण-शुरू-से
रामायण शुरू से

गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म चित्रकोट निकट स्थिथ रायपुर संवत्थ १५५४ की श्रावण शुक्ल की सप्तमी के दिन अभुत्क मूल नक्षत्रमे जन्मे हुआ था। तुलसीदास जी जन्म लेते ही रोए नहीं बल्कि राम नाम लिया। तुलसीदास जी की रामचरित्रमानस सर्वोलोकप्रीय है और उनकी अन्य रचनाएं गीतावाली, वैराग्य संदीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, रामाज्ञा प्रश्न, अथवा अन्य अनेक रचनाएं है।


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Ramayan Ke Rachyita Kaun Hai



रामायण किसने लिखा - Ramayan Kisne Likhi Thi - सम्पूर्ण जानकारी



रामायण के रचयिता एवं रामायण किसने लिखी थी यह बहुत लोग के मन के प्रश्न है। रामायण के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी है लेकिन किसने लिखी थी यह कोई अलग प्रश्न नहीं बल्कि रामायण के रचयिता कौन है प्रश्न का ही दूसरा वर्णन है या ससकरण है। संपूर्ण रामायण श्री वाल्मीकि जी के द्वारा ही लिखी गई थी और वाल्मीकि जी ही रामायण के रचयिता है। गूगल सर्च में लोगों के अलग-अलग सर्च करने के तरीके से यह एक ही उत्तर के दो प्रश्न उत्पन्न हो गए है।



रामायण की कथा - रामायण की कहानी - रामायण शुरू से अंत तक संक्षित में 



आज आपको रामायण की कहानी अर्थात रामायण शुरू से अंत तक बताने वाले है किन्तु उसमे भी एकदम संक्षिप्त में रामायण कथा हिंदी में बताकर आपको आगे उसको विस्तार से बतायी जाएगी. 


विशेषरूप से जानने वाली बात ये है की, रामायण कुल सात अध्याय में बताया जाता है. जिन्हें कांड भी कहा जाता है जिनमे 1. बालकाण्ड, 2. अयोध्याकाण्ड, 3. अरण्यकाण्ड, 4. किष्किन्धाकाण्ड, 5. सुन्दरकाण्ड, 6. लंकाकाण्ड, 8. उतरकाण्ड इस प्रकार से है. 


तो आगे हम रामायण की कथा को संक्षिप्त में जानेंगे……….!


गोस्वामी तुलसीदासज़ी स्वामी द्वारा रचित रामायण मे श्री हरी विष्णु के पूर्ण अवतार भगवान श्री राम जी का जीवन लेख है । जिसमें श्री राम जी और उनके चारो भाईयो के जन्म से उनके सभी के विवाह सीता स्वयंवर मे जाकर । देवी देवताओं के सदियंत्र से कैकेयी द्वारा दशरथ जी के कहने पर प्रभु श्री राम उनके छोटे भाई लक्ष्मण और उनकी पत्नी सीता को १४ वर्षों का वनवास । जिसमें श्री राम जी के द्वारा धरती में बढ़ते हुए अधर्मी राक्षसों का वध किया जाता है । अनेक ऋषि, अप्सराओं किनार मनुष्यों का उधार। 


विशिष्ठ कड़ी सुरपनाखा द्वारा श्री राम जी की अर्धांगिनी देवी जानकी का मारीच के छल एव रावण के हाथो उनका अपहरण। अत्याचारी दुराचारी रावण द्वारा गरुड़ राज जटायु का वध एव जटायु जी के द्वारा श्री राम जी और उनके भाई लक्ष्मण को राह दिखाना। दोनो अयोध्या राजकुमारों का बाली राज किष्किंधा मे प्रवेश महाबली पराक्रमी श्री हनुमान जी का श्री राम जी से प्रथम भेट एव महाराज सुग्रीव और राम मेल मिलाप । 


श्री राम जी द्वारा सुग्रीव की सहायता हेतु बलवान बाली का वध । सुग्रीव जी का राज्याभिषेक अथवा सुग्रीव जी के पराक्रमी बलवान योधायो के टुकड़ी द्वारा संपूर्ण दिशाओं में सीता खोज । दक्षिण दिशा धारी बलवान श्री हनुमानजी पुष्ट अंगद संग जामवंत काका नील नर एव अन्य बलशाली योधाओ संग पंछीराज संपाती द्वारा सीता देवी की खोज। 


पवनपुत्र श्री हनुमान जी अपनी शक्तियों का स्मरण अथवा उनका अपना विकराल रूप धर के समृद्ध लांघना अथवा समुद्र मार्ग मैं राक्षशो का वध । हनुमानजी का अशोक वाटिका पहुंचकर सीता माता से भेट और रावणपूत्र अक्षय कुमार का वध । रावण पुत्र मेघनाद द्वारा हनुमानजी को बन्दी बनाना। पूछ मैं लगी आग से लंका दहन और सीता माता की चूड़ामणि लौटकर श्री राम जी तक उसको पहुचान। 


श्री जी द्वारा समुद्र देव की पूजा और रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का निर्माण। समुद्र में सेतु निर्माण और सम्पूर्ण वानर सेना का लंका प्रवेश । भीषण युद्ध की शुरुआत मेघनाद द्वारा लक्ष्मण मूर्च्छा अथवा लंका के विद्वान वैद्य के कहे अनुसार हनुमान जी का हिमालय जाकर संपूर्ण संजीवनी पर्वत लेकर आना और लक्ष्मण जी का उपचार। रावण द्वारा अपने भाई कुंभकर्ण को निद्रा से उठाना और कुंभकर्ण का युद्ध मे आतंक श्री राम जी द्वारा उसका वध। मेघनाद नागपाश से राम लक्ष्मण कैद और गरुड़ द्वारा उनकी मुक्ति । 


मेघनाद महा प्रलयकारी यज्ञ अथवा शेषावतार द्वारा उसका वध। क्लेशपूर्वक रावण की युद्ध मे प्रवेश और त्राहिमाम परिवेश का पदार्पण। श्री राम जी द्वारा रावण वध और त्रिलोक जीवधारीयो द्वारा रघुनंदन का अभिनंदन । सीता जी का अग्नि परीक्षा और विभीषण जी का राज्याभिषेक। संपूर्ण सेना का लंका लौटना। श्री राम जी का राज्याभिषेक तक...



रामायण की कहानी - रामायण की कथा - रामायण शुरू से अंत तक विस्तार से



आपको उपरोक्त बतायी गयी रामायण की संक्षिप्त कथा में आपको श्रीराम कथा एक प्रथम अनुभव मिल गया है. जिसमे आपको रामायण के सम्पूर्ण प्रसंगो से अवगत नहीं कराया गया केवल मुख्य बातो को ही आपके सामने रखा गया. किन्तु आगे हम आपके सामने रामायण की कथा के सम्पूर्ण साथ कांड के आधार पर रामायण की कथा को बताने वाले है. 


१. प्रथम कांड बालकांड :–


वाल्मीकि रामायण या गोस्वामी तुलसीदास रचित रामायण दोनों में आपको बालकांड का वर्णन मिलेगा । बालकांड में भगवान श्री राम के बाल अवस्था का संक्षिप्त वर्णन दिया गया है।


हजारों वर्ष पूर्व भारत के दक्षिणी भाग में एक शक्तिशाली राज्य था। इसे "कोसल का साम्राज्य" कहा जाता था। शक्तिशाली राज्य का राजा भी शक्तिशाली ही होगा , ऐसा ही विचार आया होगा आप सबके मन में, हां आप सभी बिल्कुल सही सोच रहे हैं एक शक्तिशाली राज्य का राजा बल्कि और कोई नहीं दशरथ थे। उनका विवाह १० या १२ साल में खो गया था उनकी तीन पत्नियां थी जिनके नाम कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थे। 


संतान प्राप्ति हेतु महाराज दशरथ ने अपने गुरु, वशिष्ठ के कहे अनुसार एक दिव्य महायग का किया। 

                     


प्रश्न :– महाराज दशरथ द्वारा कराए गए संतान प्राप्ति के  महायज्ञ का क्या नाम था, और उससे किस ऋषि ने कराया। 

उतार :–  महाराज दशरथ द्वारा संतान प्राप्ति के महायज्ञ का नाम पुत्रकामेष्टि था जिसे की ऋषि ऋंगी के द्वारा किया गया था



इस यज्ञ में अग्नि देव को प्रसन्न करने के लिए राजा दशरथ ने भक्ति पूर्ण रूप से आहुतियां दी गई। अंत में अग्नि देव प्रसन्न होकर स्वयं  राजा दशरथ को दर्शन दिए ।


अग्निदेव अपने साथ एक हविष्यपात्र लेकर प्रकट हुए उन्होंने उसमें रखी खीर को राजा दशरथ की तीनों पत्नियों में बांट दिया। 


राजा दशरथ की पहली पत्नी और सबसे बड़ी रानी  कौशल्या को आधा खीर दिया गया , उसके बाद उनकी दूसरी पत्नी और मंझली रानी ककेयी को एक तिहाई खीर दिया गया और बाकी बचा हुआ खीर राजा दशरथ की तीसरी पत्नी और सबसे छोटी रानी सुमित्रा को प्राप्त हुआ।



प्रश्न :– राजा दशरथ की पत्नियों का क्या नाम था।

उतर :–  अयोध्या के राजा दशरथ जिनका विवाह बाल अवस्था में ही हो गया था उनकी तीन पत्नियां थी , सबसे बड़ी रानी का नाम कौशल्या था जिन्होंने भगवान श्रीराम को जन्म दिया था, दूसरी रानी ककेयी थी जिन्होंने भरत जिनके नाम पर आज पूरा भारत वर्ष है उन को जन्म दिया था, राजा दशरथ की तीसरी पत्नी सुमित्रा ने दो पुत्रों को जन्म दिया लक्ष्मण और शत्रुघ्न।



अग्नि देव का दिया हुआ खीर खाकर राजा दशरथ की तीनों पत्नियां गर्भधारक ........ हुई , परिणाम स्वरूप रानी कौशल्या ने भगवान श्रीराम को जन्म दिया, रानी कैकेई ने राम जी के छोटे भाई भरत और रानी सुमित्रा ने दो पुत्र को जन्म दिया जिनके नाम लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे।


रामायण-की-कथा
रामायण की कथा

ऋषि विश्वामित्र चारों राजकुमारों के गुरु थे । पौराणिक काल में यज्ञ महायज्ञ आहुतियां यह सब प्रचलन में था , एवं दानवों को यज्ञ में बाधा डालना ऋषि-मुनियों को हानि पहुंचाना यह भी हुआ करता था। ऋषि विश्वामित्र राक्षसों से अपने यज्ञ के रक्षा हेतु महाराज दशरथ से राम और लक्ष्मण दोनों को मांग कर ले गए। 


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रामायण ताड़का वध रामायण शुरू से


राम और लक्ष्मण मारीच और सुदाहू से लड़ने के लिए आश्रम गए, दो राक्षस जो ऋषियों को कोई यज्ञ नहीं करने देते थे। दो राक्षस ताड़का के पुत्र थे, जिन्हें राम और लक्ष्मण ने पहले हराया था।


आश्रम पहुँचकर विश्वामित्र मुनि के शिष्यों ने एक भव्य यज्ञ की तैयारी शुरू कर दी। राम और लक्ष्मण पहरा दे रहे थे और दोनों राक्षसों की तलाश कर रहे थे। यज्ञ के छठे दिन दोनों दैत्य यज्ञ में विघ्न डालने आए।


दोनों राजकुमारों ने राक्षसों के साथ एक शक्तिशाली लड़ाई लड़ी और अंत में राम ने मारीच और सुधौ को दो विशेष अस्त्रों से हराया। वे उस दिन के बाद के समारोहों को बाधित करने में सक्षम नहीं थे।


उधर दूसरी ओर राजा जनक धनुष यज्ञ के लिए विश्वामित्र और राम और लक्ष्मण को आमंत्रित किया। वह तीनों यज्ञ के लिए राजा जनक की नगरी मिथिला ( जनकपुर ) के लिए निकल पड़े ।


तीनों मिथिला की ओर बड़े ही रहे थे की रास्ते में भगवान श्रीराम को अहिल्या , जोकि गौतम ऋषि की स्त्री थी उनके भी संकट भी दूर करने पड़े । 



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राजा जनक की पुत्री सीता आइए हम आपको थोड़ा सीता देवी के बारे में बताते हैं। सीता देवी अपनी राजधानी मिथेला के साथ विदेह राज्य की राजकुमारी थीं। वह राजा जनक द्वारा मैदान में पाई गई थी। सीता को पृथ्वी की संतान और अपशकुन का वरदान माना जाता है। जनक ने उसे गोद लिया और उसे अपने रूप में पाला। राजा जनक की एक और पुत्री उर्मिला थी। सीता और उर्मिला एक दूसरे को बेहद इस्नेह करते थे।


जब सीता वयस्कता तक पहुँचती है, तो जनक प्रतिज्ञा के अनुसार राजा जनक उनके लिए एक स्वयंवर का आयोजन इस शर्त के साथ करते हैं कि सीता केवल उसी व्यक्ति से शादी करेगी जो भगवान शिव जी के धनुष पिनाक को बांधने में सक्षम होगी। वह सीता के लिए एक योग्य वर चाहते थे।


अंदाजा लगाइए कि स्वयंवर में किसने भाग लिया? हाँ, भगवान राम। राम जी , भगवन शिव जी के धनुष को उठाने में सक्षम थे लेकिन इस प्रक्रिया में उन्होंने धनुष को तोड़ दिया था। विष्णु जी के छठे अवतार परशुराम के साथ एक बड़े टकराव के बाद, देवी सीता ने भगवान राम से शादी की, और लक्ष्मण जी ने उर्मिला से शादी की।


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रामायण कथा हिंदी

हमारे साथ जानें कि कैसे मिथिला में कई विवाह समारोहों में राम और उनके सभी भाइयों ने सीता और उनकी बहनों से विवाह किया।


भव्य शादी सिर्फ राम और सीता की ही नहीं बल्कि लक्ष्मण और उर्मिला की भी थी। राजा एक भाई थे , उनकी दो सुंदर पुत्रियां थीं जिनका नाम मांडवी और श्रुत्कृति था ।


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राम वनवास रामायण


ऋषियों ने प्रस्ताव दिया कि सीता के चचेरे भाइयों का विवाह भरत और शत्रुगन के साथ होना चाहिए। चार भाई और चार बहनें अयोध्या में एक साथ खुशी-खुशी रह सकेंगे।



इति श्रीमद्रामचरितामानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने द्वितीय: सोपान: समापत: ।

अर्थ : कलियुगे के संपूर्ण पापों का विध्वंस करने वाले श्रीरामचरित्रमानस यह पहला सोपान समाप्त हुआ।



( बालकाण्ड समाप्त )



राम लक्ष्मण की कहानी हमारी जुबानी – संपूर्ण रामायण महाकाव्य , रामायण शुरू से अंत तक



२. द्वितीय काण्ड अयोध्याकाण्ड :–



रामायण की कहानी हमारी जुबानी :– विवाह के बाद, समय के साथ राजा दशरथ को लगा कि अयोध्या के अगले राजा को नियुक्त करने का समय आ गया है।


राजा दशरथ चाहते थे की, राम जी की शादी के पश्चात उन्हें राजसिहासन दे दिया जाए। परंतु इससे सभी देवी देवता नाराज हो गए । सभी देवी देवताओं का यह मानना था कि अगर भगवान श्री राम वनवास नहीं जाएंगे तो दैत्य दानव असुर एवं रावण वध कैसे होगा इसलिए सारे देवी देवता सब सरस्वती देवी के पास पहुंचे।


सरस्वती देवी ने विचार – विम्मश करके उपाय लगाया।


वह हर्षित होकर दशरथजी की पूरी अयोध्या आई, मानो दूस: दुख देनेवाली कोई ग्रहदशा आयी हो।


मंथरा नाम की कैकेयि एक मंदबुद्धि दासी थी। सरस्वती देवी ने अपने शक्ति से उसकी बुद्धि को फेर दिया।


मंथरा ने जब देखा कि पूरा शहर जगमग आ रहा था खुशियों में डूबा हुआ था तब उसने पूछा की यह किस उत्सव की तैयारी हो रही है, जैसे ही उसे पता चला की श्री रामचंद्र का राजतिलक होने वाला है,उसका हृदय जल उठा।


वह सोचने लगी की कैसे भी करके राम का राजतिलक रुकवाना पड़ेगा। जब उसे कुछ नहीं सूझा तो वह अपनी रानी कैकेयी के पास जाकर उनके कान भरने लगी।


लेकिन रानी उसके वश में आ ही नहीं रही थी तब उस दुरबुधि नीच जातिवाली दासी ने अपनी कुटिल भीलनी बुद्धि से रानी कैकेयी को रानी कौशल्या के खिलाफ भड़काने लगी ।


ऐसे ही करोड़ों कुटिलपन की बातें गढ़ – छोलकर मंथरा ने रानी ककेयी को कही । सकड़ो सौतोकी कहानियां बनाकर इस परकार कहने लगी की जिससे की विरोध बड़े।


उस कपटी कुबरनी ने अपने वश में कर ही लिया । तब उसने एक उपाय लगाया उसने रानी कैकेयी को कहा – तुम्हारे दो वरदान राजा के पास धारहोहर है , तुम उनके( दशरथ)  पास जाओ और उन्हे राम की सौगंध दिलाकर  उनसे अपनी दो इच्छाएं पूर्ण कर लो।


याद रखना कि पहले राजा राम की सौगंध ले जिससे वचन न टल पावे।



प्रश्न : रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से अपने वरदान के रूप में क्या मांगा था । 

उतर : रानी कैकेयी राजा दशरथ से अपने वरदान के रूप में यह मांगा था की राम को 14 वर्षों का वनवास मिले और भरत का राजतिलक हो।



पापिनी मंथरा ने रानी कैकेयी को कोपभावन भेज दिया। जैसे ही राजा महल लौटे कैकेयी का कोपभवन सुनकर सहम उठे । राजा तुरंत कैकेयी से मिलने चले गए। वहां जाकर उन्होंने जब देखा कि रानी अपने सभी आभूषण को फेंक कर एक पुराने फटे हुए कपड़े पहन कर जमीन में लेटकर रो रही हैं , तब वह अपने से बहुत नाखुश हुए , कभी मौका देख कर बातों ही बातों में कैकेयी ने राजा से राम की सौगंध ले ही ली और उन्हसे कहा कि राम को १४ वर्ष के लिए वनवास भेज दीजिए।


यह सुनकर राजा के माने पैरों से जमीन खिसक गई हो। महाराज दोनों हाथ अपने नेत्रों में रखकर विलाप में सोचने लगे की कैकेयी ने कहा– क्या भरत आपका पुत्र नहीं है क्या आपने मुझे दाम देकर खरीद लाया था। 



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बोलिए महाराज क्या मेरा वचन आपको बाण सा लगा सोच समझकर कहिए। आप ही ने तो वर मांगने को कहा था अब अपनी प्रतिज्ञा पूरी कीजिए। क्या भरत आपको प्रिय नहीं है आप राम की जगह उसका भी तो राजतिलक करवा ही सकते हैं।


यह सुनते ही महाराज दशरथ को कैकेयी के सारे षड्यंत्र का पता चल गया है लेकिन वह अपने वचन में बाध्य होने की वजह से कुछ नहीं कर पाए।


राजा को अपने स्वयं के वादे का सम्मान करना पड़ा और परिणामस्वरूप महाराज ने एक शाही घोषणा की, उन्होंने कहा कि भरत अगला राजा होगा और राम को वन में १४ साल के लिए वनवास पर जाना होगा। सारा राज्य उदास और आंसुओं में था।


जब यह सब हो रहा था तब राजकुमार भरत राज्य में नहीं थे वह ननिहाल गए हुए थे। इस कारण वह विरोध करने की स्थिति में नहीं थे। इतनी अराजकता के बीच राम ने बिना किसी प्रश्न के अपने पिता दशरथ की आज्ञा मान ली। राम की पत्नी सीता और लक्ष्मण ने वनवास की अवधि में राम के साथ जाने का फैसला किया। जैसे ही तीन राजघरानों ने सामान्य पुरुषों का जीवन व्यतीत करने के लिए प्रस्थान किया ।


पूरी अयोध्या नगरी द्वेष के आसुओं में डूब गई , जैसे कि मानो जीवित प्राणी  से उसकी आत्मा छीन ली गई हो।


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रामायण राम वनवास


श्रीराम जी के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण और उनकी धर्मपत्नी  सीता , तीनो ने अयोध्यानगरी की कशिश, मोह माया से दूर घने जंगल में जाने का निर्णय किया।


अयोध्या नगरी मैं अपने सारे वस्त्र , आभूषण,आभरण निकलकर , सदा – सरल सन्यासी के भेष में अयोधा से प्रस्थान किया। 


जैसे कि अयोध्या कांड के शुरुआत में ही हमने आपको यह ज्ञात करा ही दिया था, की अयोध्या नगरी  सरयू नदी के तट पर स्थित है, जब श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और अपनी पत्नी सीता के साथ वनवास के लिए निकले तब उन्होंने सरयू नदी खूब पार कर दिया उसके बाद वन की ओर बढ़ते बढ़ते वे गंगा नदी के तट पर पहुंचे वहां पर उनकी मुलाकात एक नीची जाति के व्यक्ति से हुई जिसका नाम केवट था। 


श्रीमद् गोस्वामी तुलसीदास जी के रामायण को पढ़ने के बाद हमें यह ज्ञात होता है कि केवट ने प्रभु श्री राम के चरणों को अपने हाथों से धोया और उसी पानी को ग्रहण किया। इसके बाद केवट ने प्रभु श्री राम जी सीता माता और लक्ष्मण भैया को अपने नवका में बैठा कर विशाल नदी पार कराई।


गंगा नदी पार करने के बाद भगवान श्री राम  प्रयागराज पहुंचे 



प्रश्न : प्रयागराज कहां स्थित है।

उत्तर : प्रयागराज यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह वही पवित्र, पवन, पुनीत नदी जिसमें श्री राम उनके भाई लक्ष्मण सीता माता ने स्नान किया था।



वहां पर उन्होंने भरद्वाज मुनि से भेट की । भरद्वाज मुनि ने उन्हें यमुना स्नान करने की सलाह दी। स्नान करने के बाद भरद्वाज मुनि उन्हें श्री वाल्मीकि जी के आश्रम लेकर पहुंचे।


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रामायण कथा हिंदी


जैसा कि आप सभी को यह पहले भी बताया है कि महान रामायण की रचना श्री वाल्मीकि जी के द्वारा हुई है। हमने आपको रामायण के पहले कांड यानी बालकांड में बताया है की वाल्मीकि जी प्रभु श्री राम और उनकी तीनों भाइयों के गुरु हैं। 


श्री राम जी वाल्मीकि जी के आश्रम पहुंचकर उनसे मंत्रणा की जिसमें वाल्मीकि जी ने प्रभु श्री राम को वनवास की जानकारी दी। जैसे कि उन्हें कहां रहना है , उन्हें कितने कितने समय में अपना जगह बदलना यह सब और बहुत कुछ।


वाल्मीकि जी से परामर्श करने के बाद यह तय हुआ कि श्री राम उनके भाई लक्ष्मण और सीता देवी तीनों चित्रकूट नामक स्थान पर निवास करेंगे।



प्रश्न : चित्रकूट क्या है और वहां कहां स्थित है।

उत्तर : चित्रकूट एक विशाल जलप्रपात है, जिसका श्रोत इंद्रावती नदी है। जलप्रपात की कुल ऊंचाई ९५ft. है। छेत्रफल के अनुसार झरना १५०मीटर चौड़ा है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित है।



उधर अयोध्या में अपने प्रिय पुत्र राम के वियोग (विरह) के करण राजा दशरथ अपने राज्य में संत्रस्त – विषादपूर्ण स्थिति में थे जिस वजह से वह बीमार हो गए थे। राजा दशरथ राम को याद करके उन्हें अपनी बीती यादे याद आती है।


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रामायण राम वनवास


राजा दशरथ की कहानी जब वह एक युवा व्यक्ति थे और उन्होंने कुछ भयानक कार्य किया था। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें अपने पसंदीदा बेटे के लिए तरसते हुए मरने का श्राप मिला था। इससे हमें इस तथ्य की जानकारी मिलती है कि जब हम कुछ गलत करते हैं, तो हमें उसके परिणाम भुगतने ही पड़ते हैं।



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जैसे ही दशरथ बिस्तर पर बीमार और देहावसान के करीब थे, तब उन्हें राम और लक्ष्मण की याद और ज़ायदा सताने । तभी उन्हें कई साल पहले की एक घटना याद आती है, जब वह युवा थे। एक शाम जब वह एक हिरण का शिकार करने का लक्ष्य बना रहा था, उन्होंने गलती से एक इंसान को चोट पहुंचाई। उनके बाण ने नदी के किनारे से बर्तन में पानी भर रहे श्रवण कुमार नाम के एक युवक को चोट पहुंचाई थी। राजा दशरथ को अपने किए पर बहुत शर्म आई और इस घटना को याद करते ही उन्होंने देह त्याग दिया ।


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रामायण की कथा


राजा दशरथ की  स्वर्गवास की खबर पूरे राज्य में मानव बिजली की तरह फैल गई हो इस घटना के बाद अयोध्या के वरिष्ठ मंत्री वशिष्ठ ने भरत और शत्रुघ्न को ननिहाल से बुला लिया । 


भरत अयोध्या लौटे , अपने गुरुजनों के अनुसार अपने पिताश्री का अंत्येष्टि की और अपने पिताश्री के राज्य अयोध्या को स्वीकारने से मना कर दिया। अपनी माता कैकेयी की कुटिलता के लिए वह उनसे बहुत भर्त्सना किया। भरत का अपने भाइयों के प्रति स्नेह अयोध्या में रहने की अनुमति नहीं दे रहा था इस वजह से उन्होंने अपनी प्रजा को आवासन दिलाया की अयोध्या के राजकुमार उनके बड़े भाई राम ही होंगे। खोज –खबर करने के बाद भरत ने भी चित्रकोट जाके अपने भाइयों को वापस लाने की सौगंध लेकर समस्त स्नेहीजनों के साथ चित्रकोत की ओर निकल पड़े। 


देवी सीता के माता सुनयना एव पिता जनक भी वनवास को लेकर विशृंखलित थे , वे भी भरत के साथ चित्रकोत पहुंचे।



प्रश्न : देवी सीता के माता पिता कौन थे।

उत्तर : श्री राम जी की ग्रंथ रामयान में देवी सीता एक मुख्य किरदार है , जो मर्यादा पुरुषोत्तम रघुनंदन अयोध्या के राजकुमार श्री राम की पत्नी थी । उनके माता पिता का नाम सुनयना और जनक था ।



चित्रकूट पहुंचने के बाद सभी का मेल मिलाप हुआ। भरत ने श्री राम जी से अयोध्या वापस चल कर राज्य करने का प्रस्ताव रखा । प्रभु श्री राम जी अपने पिता के वचन बाध्य  होने की वजह से और रघुवंह की रीत निभाने के लिए उन्होंने अपने भाई का प्रस्ताव अमान्य कर दिया।


उधार भरत अपनी प्रजा को आश्वासन देकर आए थे कि वह प्रभु श्री राम को लेकर ही लौटेंगे इस कारणवश प्रभु श्री राम ने अपनी चरण पादुका अपने भाई भरत को दे दी, जिससे कि उनका दिया हुआ वचन भी ना टूटे। 


भरत ने अपने भाई राम के कहे अनुसार उनकी चरण पादुका को लेकर अपने स्नेहीजनों के साथ अयोध्या लौटकर राज्य सिंहासन मैं विराजित कर दिया और स्वयं नंदीग्राम नामक स्थान में एक छोटी सी कुटिया में निवास करने लगे।



इति श्रीमद्रामचरितामानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने द्वितीय: सोपान: समापत: ।

अर्थ : कलयुग के संपूर्ण पापों को विध्वंस करने वाले श्रीरामचरित्रमानस का यह दूसरा स्वपन समाप्त हुआ।



( अयोध्याकाण्ड समाप्त )



संपूर्ण रामायण – रामायण की कथा १० मीन. में – यूट्यूब वीडियो 




बालकांड और अयोध्याकाण्ड के बारे में पूछे जाने वाले सवाल -  FAQ



प्रश्न क्र 1 :– महाराज दशरथ द्वारा कराए गए संतान प्राप्ति के महायज्ञ का क्या नाम था, और उससे किस ऋषि ने कराया।

उत्तर :– महाराज दशरथ द्वारा संतान प्राप्ति के महायज्ञ का नाम पुत्रकामेष्टि था जिसे की ऋषि ऋंगी के द्वारा किया गया था


प्रश्न क्र 2 :– राजा दशरथ की पत्नियों का क्या नाम था।

उत्तर :– अयोध्या के राजा दशरथ जिनका विवाह बाल अवस्था में ही हो गया था उनकी तीन पत्नियां थी , सबसे बड़ी रानी का नाम कौशल्या था जिन्होंने भगवान श्रीराम को जन्म दिया था, दूसरी रानी ककेयी थी जिन्होंने भरत जिनके नाम पर आज पूरा भारत वर्ष है उन को जन्म दिया था, राजा दशरथ की तीसरी पत्नी सुमित्रा ने दो पुत्रों को जन्म दिया लक्ष्मण और शत्रुघ्न।


प्रश्न क्र 3 : रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से अपने वरदान के रूप में क्या मांगा था ।

उत्तर : रानी कैकेयी राजा दशरथ से अपने वरदान के रूप में यह मांगा था की राम को 14 वर्षों का वनवास मिले और भरत का राजतिलक हो।


प्रश्न क्र 4 : देवी सीता के माता पिता कौन थे।

उत्तर : श्री राम जी की ग्रंथ रामयान में देवी सीता एक मुख्य किरदार है , जो मर्यादा पुरुषोत्तम रघुनंदन अयोध्या के राजकुमार श्री राम की पत्नी थी । उनके माता पिता का नाम सुनयना और जनक था ।


प्रश्न क्र 5 : चित्रकूट क्या है और वहां कहां स्थित है।

उत्तर : चित्रकूट एक विशाल जलप्रपात है, जिसका श्रोत इंद्रावती नदी है। जलप्रपात की कुल ऊंचाई ९५ft. है। छेत्रफल के अनुसार झरना १५०मीटर चौड़ा है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित है।


प्रश्न क्र 6 : प्रयागराज कहां स्थित है।

उत्तर : प्रयागराज यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह वही पवित्र, पवन, पुनीत नदी जिसमें श्री राम उनके भाई लक्ष्मण सीता माता ने स्नान किया था।



उपरोक्त रामायण कथा हिंदी आपको श्री रामायण के बालकाण्ड और अयोध्याकांड की कथा बतायी गयी है और इस लेख की शब्दसीमा को देखते हुए हमारे द्वारा आपको आगे के अध्याय के बारे में जिसमे अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उतरकाण्ड इस प्रकार से आगे के रामायण के अध्याय के आधार पर आगे की रामायण की कहानी आपको हमारे आगे के लिए में बताएँगे. जिसे आप यहाँ से देख सकते है. 👉👉👉  Click Here


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रामायण इन हिंदी निष्कर्ष :- 


आज के लेख रामायण कथा हिंदी और रामायण की कहानी में आपको रामायण शुरू से लेकर अंत तक बताने के साथ ही Ramayan Ke Rachyita Kaun Hai (रामायण के रचयिता कौन है) और Ramayan Kisne Likhi Thi (रामायण किसने लिखा) इन प्रश्नों पर भी प्रकाश डाला गया. उसी प्रकार बालकाण्ड और अयोध्याकांड की कहानी में रामायण ताड़का वधसीता स्वयंवर रामायण और रामायण सीता हरणराम वनवास रामायण तक की कथा को बताया गया है. 

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