School Ka Pehla Din – छोटे बच्चो की कहानियाँ जरूर पढ़े

School Ka Pehla Din – स्कूल का पहला दिन कहानी




आज के Hindi Mein Kahani और छोटे बच्चो की कहानी मे हम आज स्कूल का पहला दिन ( School Ka Pahala Din ) की यह कहानी पड़ेंगे। कहानी बताइए का टॉपिक है आज का achi achi kahani पड़ेंगे।


स्कूल का पहला दिन यह कहानी एक छोटे बच्चे की है जो अपने स्कूल के पहले दिन के ऊपर एक संचित मे छोटे बच्चो की कहानियाँ , Hindi Mein Kahani लिखा है।


इस अच्छी अच्छी कहानी के अंत में आपको यूट्यूब वीडियो के मध्य से भी यह कहानी बताइए  


स्कूल का पहला दिन – सच्ची घटना पर आधारित कहानी ( छोटे बच्चो की कहानियाँ )



स्कूल का पहला दिन
स्कूल का पहला दिन


यह कहानी है एक लड़के सूरज जो अपने माता-पिता के साथ शहर में रहता था जिसे एक नए स्कूल में जाना था। वहां सुबह नाश्ता कर ही रहा था कि बाहर बस हॉर्न बजाती है। वहां अपना स्कूल बैग टांगता है और अपने माता पिता को बाय कर के बाहर खड़ी स्कूल बस में बैठ जाता है स्कूल बस चल पड़ती है। 


वह देखता है की आगे की सीट खाली है वहां जाकर बैठ जाता है। बस की आखरी सीट पर एक लड़का बैठा जिसका नाम राहुल है वह सूरज को देखकर चिल्लाते हुए बोलता है रुको वहां मत बैठो यहां आ जाओ, सोच विचार करके राहुल के पास चला जाता है और जाकर उसके साथ बैठ जाता है।


तब राहुल कहता है तुम्हें पहले तो नहीं देखा इस बस में , अब सूरज कहता है हां आज मेरा स्कूल में पहला दिन है लेकिन तुमने मुझे वहां बैठने से मना क्यों किया। तब राहुल कहता है आज तुम्हारा पहला दिन है ना अभी थोड़ी देर में तुम सब समझ जाओगे।


Hindi Mein Kahani
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थोड़ी देर बाद बस रूकती है और बस में राजेश चढ़ता है और वह वही सीट में जाकर बैठता है जिसमें सूरज बैठा था। राजेश के बस में आते ही सभी बच्चे घबरा जाते हैं और सूरज सभी बच्चों को घबराए हुए देख रहा था।


तभी राजेश सामने बैठे दो बच्चों से पूछता है "अरे कैसे हो " तब दोनों बच्चे डरे हुए कहते हैं "ठीक है राजेश भाई तुम कैसे हो" तब राजेश उनमें से एक के गाल को जोर से खींचते हुए कहता है " तुम्हारा भाई शेर है उसे क्या होगा" ।


यह सब सूरज और राहुल पीछे बैठकर देख रहे होते तभी राहुल के बोलता है इसीलिए तुम्हें मैं मना किया था वहां बैठने से, तब सूरज कहता है थैंक यू दोस्त तुमने मुझे बचा लिया नहीं तो आज पहला दिन ही आखरी दिन हो जाता।



छोटे बच्चो की कहानियाँ – School Ka Pahala Din , बच्चो की कहानी  (कहानी बताइए)




तभी राजेश दूसरे बच्चे से कहते हैं "चल रे थोड़ा मेरी बाजुओं को दबा दें"वह बच्चा डर के मारे राजेश की बाजुओं को दबाने लगता है ।


School Ka Pahala Din
School Ka Pahala Din


तभी सूरज राहुल से कहता है अगर यह सबको रोज ऐसे ही तंग करता है तो इसकी टीचर से शिकायत क्यों नहीं करते। इस पर राहुल कहता है शिकायत की थी लेकिन इस पर उसका कोई असर नहीं पड़ा और जिस ने इसकी शिकायत की थी उसे इसने इतना तंग किया उसे मजबूरन स्कूल छोड़कर जाना पड़ा।


सूरज खुद से कहता है लगता है यह कुछ ज्यादा ही बिगड़ैल बच्चा है।


उनकी स्कूल बस स्टैंड पहुंच जाती है राहुल और सूरज दोनों अपनी-अपनी कक्षाओं में चले जाते हैं वह दोनों मन लगाकर पढ़ते हैं उसके बाद उनकी छुट्टी हो जाती है वह दोनों वापस उसी बस में बैठकर चला जाते हैं।


सूरज अपने घर पहुंच जा कभी उसकी मां कहती है आ गए बेटे जाओ कपड़े उतार के आजाओ मैं खाना लगा देती हूं। सूरज अपने कमरे में जाकर कपड़े उतार कर तैयार होकर खाना खाने आता है और कुर्सी में बैठकर राजेश के बारे में सोचने लगता है।



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तभी उसकी मां उसे सोचता हुआ देखकर उसे पूछती है क्यों कैसा रहा स्कूल का पहला दिन कोई दोस्त बने या नहीं, तब सूरज कहता है दोस्त तो बने लेकिन एक रह गया है। उसकी मां उसे परेशान देखकर पूछती है मतलब क्या हो गया मुझसे कहो मैं भी तो तुम्हारी दोस्त हूं ना।

सूरज अपनी मां को देखता है और स्कूल बस में जो भी हुआ वह सब अपनी मां को बता देता है। तब उसकी मां कहती है तुमने मुझे एक दोस्त होने के नाते अपनी सारी बात बता दी अब मैं भी एक दोस्त का फर्ज अदा करते हुए तुम्हें सुझाव देती हु।


सूरज की मां बाहर चले जाती है और बाहर से दो लकड़ी लेकर आती है उसके बाद वाह पहले एक लकड़ी को तोड़ती है उसके बाद दूसरे लकड़ी को भी तोड देती है। सूरज को यह सब देख कर कुछ समझ नहीं आ रहा होता है। तब उसकी मां तुम चार लकड़ी के टुकड़ों को एक साथ पकड़ कर तोड़ने की कोशिश करती है लेकिन वहां नहीं तोड़ पाती है।


वह फिर से कोशिश करती है लेकिन वह चारों लकड़िया इतनी मजबूत हो जाती है कि वह उसे नहीं तोड़ पाती है, वह थक हार कर उन चारों लकड़ियों को टेबल पर रख देती है । सूरज समझ जाता है और खुश होकर अपनी मां के गले लग जाता है और कहता है मैं समझ गया मैं "थैंक यू सो मच"।


कहानी बताइए
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अगले दिन फिर स्कूल बस आती है सब उसमें बैठ जाते हैं, तभी बस रूकती है और बस में राजेश चढ़ता है लेकिन वह बस में चढ़ाने के बाद देखता है कि उसकी सीट पर राहुल बैठा हुआ है। तब राजेश उससे कहता है "क्यों रे तुझे पता नहीं है यह सीट किसकी है इस पर कौन बैठता है" राहुल कहता है " मुझे पता है लेकिन आज मैं बैठूंगा" ।


राहुल की बात सुनकर राजेश को गुस्सा आ जाता है और वह राहुल को मारने लग जाता है। तब सूरज आता है और कहता है " खबरदार जो राहुल को हाथ लगाया" तब राजेश को और गुस्सा आ जाता है और वहां सूरज को कहता है " तो तू मुझे रोकेगा "।


बस के सारे बच्चे सूरज के साथ खड़े हो जाते हैं और कहते हैं "हम सब मिलकर रोकेंगे" एक-एक करके सारे बच्चे कहने लगते हैं हम सब मिलकर रोकेंगे। राजेश सभी बच्चों को एक साथ खड़ा देखकर डर जाता है और कहता है " कोई बात नहीं राहुल यहां बैठ सकता है मैं पीछे जाकर बैठ जाता हूं" ।


सभी बच्चे राजेश को डरा हुआ देखकर अपनी एकता पर खुश होते हैं। सूरज और राहुल सभी बच्चों को खुश देख कर मुस्कुराते हैं ।



स्कूल का पहला दिन ( दूसरी कहानी ) – Moral Stories For Kids हिंदी में कहानी बताइए 




पहली बार अपने नए स्कूल में प्रवेश करते समय सोफी थोड़ी घबराई हुई थी। उसने अपने बैग को कस कर पकड़ लिया, छोटे, अनिश्चित कदम उठाते हुए जैसे ही उसने अपनी कक्षा की ओर कदम बढ़ाया। 


उसकी माँ ने उसे आश्वासन दिया था कि सब ठीक हो जाएगा, लेकिन सोफी उसके पेट में उड़ती तितलियों को न हिला सकी। जैसे ही उसने अपनी कक्षा में प्रवेश किया, उसने अपनी उम्र के बहुत से अन्य बच्चों को देखा, जो सभी अपने डेस्क पर बैठे थे और उत्साह से बातें कर रहे थे। 


सोफी ने सभी शोर और गतिविधि से थोड़ा अभिभूत महसूस किया, लेकिन उसकी शिक्षक श्रीमती जॉनसन ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया और उसकी मेज खोजने में उसकी मदद की। 


दिन का पहला पाठ वर्णमाला के बारे में था, और सोफी यह जानकर रोमांचित थी कि वह पहले से ही अधिकांश अक्षरों को जानती थी। जैसे-जैसे पाठ आगे बढ़ता गया, वह और अधिक सहज महसूस करने लगी, और जल्द ही वह अन्य बच्चों के साथ जुड़ने लगी जब उन्होंने एबीसी गीत एक साथ गाया। 


उसके बाद, यह अवकाश का समय था, और सोफी बाहर निकलने और खेलने के लिए उत्सुक थी। उसने खेल के मैदान पर कुछ नए दोस्त बनाए और उसे इधर-उधर दौड़ना, हँसना और मौज-मस्ती करना अच्छा लगा। 


जब घर जाने का समय आया, तो सोफी को विश्वास नहीं हुआ कि दिन कितनी जल्दी बीत गया। उसने अपने नए दोस्तों को अलविदा कहा और अपने शिक्षक को गले लगाया, पहले दिन इतने शानदार होने के लिए धन्यवाद दिया। 


जैसे ही वह स्कूल के गेट से बाहर निकली, सोफी खुश और उत्साहित महसूस कर रही थी। वह कल वापस आने और स्कूल की रोमांचक दुनिया के बारे में और जानने के लिए इंतजार नहीं कर सकती थी!



स्कूल का पहला दिन – Hindi Mein Kahani – Youtube Video





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हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह छोटे बच्चो की कहानी , Hindi Mein Kahani का School Ka Pahala Din ( स्कूल का पहला दिन ) पड़ने मे पसंद आई होगी । अगर कहानी इन हिंदी आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तो के साथ अवश्य शेयर करें और उन्हें भी कहानी बताइए

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