गरीब की बारिश – अच्छी अच्छी कहानी , Hindi Mein Kahani Batao
आज की hindi mein kahani और kahani achi achi या अच्छी अच्छी कहानी में हम आज गरीब की बारिश की बच्चों की मजेदार कहानियां पड़ेंगे। कहानी बताइए । छोटे बच्चों की कहानियां मुंबई में रहने वाले गरीब परिवार की कहानी पड़ेंगे और जानेंगे कि तेज बारिश में उन्होंने अपनी जान कैसे बचाई कहानी सुनाओ और कहानी बताइए
तो चलिए अब आप अपनी अच्छी अच्छी कहानी यह कहानी अच्छी अच्छी पड़ते है ।
Hindi Mein Kahani – achi achi kahani, कहानी अच्छी अच्छी (कहानी बताइए)
गरीब की बारिश |
गरीब की बारिश : मुंबई सपनों का शहर बड़ी-बड़ी इमारतें , बड़े-बड़े लोग , बड़ी-बड़ी हस्तियां यह सब यहां के आकर्षक केंद्र है लेकिन यह सब के अलावा यहां की हकीकत यहां के झुग्गी झोपड़ी अभी है जहां पर करोड़ों लोग रहते हैं।
यहां पर शांता अपने पति धर्मा और अपने दो बेटि रेणु और मुन्नी के साथ रहती है। धर्मा को सिर्फ एक ही काम आता है शांता की कमाई के पैसों से शराब पीना और टांग पसार कर सो जाना। शांता दूसरों के घर में झाड़ू बर्तन मांझ कर अपना घर चलाती और अपने दोनों बेटियों को पढ़ाती है।
एक बार की बात है बरसात का मौसम था बहुत जोरों से आंधी तूफान, और बादल गरज रहे थे और तीन-चार दिनों से लगातार बारिश हो रही तभी शांता की दोनों बेटियां स्कूल से भीगते हुए घर तब शांता उनसे कहती है
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शांता : अरे तुम दोनों तो पूरे गीले हो गए कहीं रुक क्यों नहीं गए ।
रेणु : हम दोनों काफी देर तक रुके रहे लेकिन यह बारिश है जो रुकने का नाम नहीं ले रही तो हमें लगा अगर हम ज्यादा लेट कर देंगे तो आप को हमारी फिक्र होगी इसलिए हम चले आए।
शांता : यह मुंबई की बारिश हम गरीबों गरीबों का जीना हराम कर देती है।
मुनि: मां आपने पिछले साल कहा था कि आप हमारे लिए रेनकोट ला दोगे अगर वह ला देती तो हम नहीं भीगेंगे।
वह अपने दोनों बच्चों से कह तो दी थी कि रेनकोट ला देगी लेकिन धर्मा की शराब से और घर के खर्चे से पैसे बचते ही नहीं थे कि वह रेनकोट खरीद सके।
पिछले साल उसके दोनों बेटियों की तबीयत पानी में भीगने के वजह से खराब हो गई थी वह सोच रही थी कि उन दोनों को कहीं से सेकंड हैंड रेनकोट खरीद के ला कर देगी । तभी धर्मा शराब की बोतल लिए घर पानी मे भीगते हुए आया।
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धर्मा : शांता अरे ओ! शांता कहां मर गई तू
शांता : मर जाती तो ही सही रहता तुम से पीछा तो छूटता ।
धर्मा : ए कैसी बात कर रही है तू क्या तुझे अपनी बेटियों की फिक्र नहीं है।
शांता : मुझे तो है लेकिन आपको नहीं है पूरे दिन शराब शराब शराब
धर्मा के साथ दिक्कत यह थी कि वह खुद की बुराई तो सुन लेता लेकिन कोई अगर शराब को कुछ कह दे तो उसका पारा चढ़ जाता ।
धर्मा गुस्से में आकर शांता को एक झापड़ मार देते हैं।
कहानी बताइए |
धर्मा : ओए मुफ्तखोर औरत तुझे कितनी बार बोला है मेरे शराब को कुछ नहीं बोलने का अगर तू मेरे शराब को दोबारा कुछ बोली तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
शांता : यह शराब हमारा घर तोड़ रही है आपको नहीं दिखता यह सब।
धर्मा : चुप कर बिल्कुल चुप मुंह से आवाज नहीं।
जब दोनों की शादी हुई थी तब धर्मा कभी कभी पीता था लेकिन पता नहीं उसके साथ क्या हुआ वह रोज पीने शुरू कर दिया इसी वजह से उसकी नौकरी भी चली गई ।
लेकिन उसे यह सब से कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि उसकी नौकरी गई तो शांता की कमाई शुरू हो गई । दोनों बेटियां भी अपने पिता के इस व्यवहार से सहमी रहती थी।
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[ अगले दिन। ]
शांता : सुनिये जी मानसून का मौसम आ गया है यहां हर रोज तेज बारिश हो रही है।
धर्मा : मॉनसून में बारिश नहीं होगी तो क्या लूं चलेगी मूर्ख औरत
शांता : आपसे तो कुछ कहना ही बेकार है।
धर्मा : अरे तो कहती क्यों है मेरे से चल फुट यहां से घर जाते जाते कुछ रुपए देती जाना
रुपए की बात सुनते ही शांता को गुस्सा आ गया
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शांता : रुपए , रुपए क्यों चाहिए
धर्मा : तेरे लिए ताजमहल बनाना है ताजमहल
शांता : देखो जी मेरे पास आपके शराब के लिए कोई पैसे नहीं है कुछ पैसे पड़े भी हैं तो वह राशन के लिए है देख नहीं रहे सारे बर्तन खाली पड़े हुए हैं और बारिश भी दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रही है रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। अगर ऐसी ही बारिश होती रही तो बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाएगा इसलिए मैं चाहती हूं कि कुछ राशन खरीद के रख लिया जाए आगे दिक्कत नहीं होगी।
धर्मा को यह बात सुनकर बहुत गुस्सा है वह सोच कि अगर वह उसके ऊपर गुस्सा करेगा तो वह उसके ऊपर भारी पड़ जाए और उसे पैसे भी नहीं देगी। इसीलिए उसने बड़े प्यार से शांता को समझाया
Hindi Mein Kahani – अच्छी अच्छी कहानी और Kahani achi achi ( कहानी बताइए )
धर्मा : अरे शांता मुझे पता है कि मैं बहुत बुरा आदमी हूं ना मुझे तुम्हारी फिक्र है ना अपने बच्चों की
धर्मा के इस बदले आचरण से शांता सदमे में आ जाती है और उसे समझ नहीं आता कि अचानक इन्हें क्या हो गया है
शांता : रेणु और मुन्नी के पास रेनकोट भी नहीं है वह दोनों हर रोज स्कूल से भीगते हुए घर आती है।
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धर्मा : भगवान के लिए मुझे यह सब मत बोलो मैं जानता हूं कि मेरे शराब के लत के कारण तुम सबको यह मुसीबत उठानी पड़ती है लेकिन मैं तुमसे वादा करता हूं कि आज के बाद शराब को मैं कभी हाथ नहीं लगाऊंगा पक्का
शांता : सच
धर्मा : हां बिल्कुल सच तुम्हारे सर की कसम।
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शांता काम में जाने लगी वह काम के लिए निकल ही रही थी कि धर्म आने उससे रोक कर बोला
धर्मा : ओम शांता तुम कह रही थी कि तुम्हारे पास कुछ पैसे हैं लाओ वह मुझे दे दो मैं उससे घर का राशन और रेणु और मुन्नी के लिए रेनकोट ला दूंगा।
सांता यह सोच रही थी कि ऐसे वादे तो वह बहुत बार कर चुका है अगर वह उसे पैसे दे दी और वह उस पैसे से शराब पी लिया तो फिर वह घर कैसे चलाएगी। वह यह सोच ही रही थी कि धर्म आने उसे रोकते हुए कहा
धर्मा : क्या हुआ शांता मुझे पैसे देने से तुम्हें डर लग रहा है ना। यही तो दिक्कत है तुम मुझे सुधारना भी चाहती हो लेकिन मुझ पर विश्वास नहीं करती। छोड़ो रहने दो अगर तुम मुझ पर विश्वास ही नहीं करती तो..
शांता फिर से धर्मा की बातों में आ गई और उसे घर के बचे हुए पैसे दे देती है। और काम पर चली जाती है।
धर्मा : बड़ी आई घर में राशन भरेगी हां..
घर में भूखे तो रहा जा सकता है लेकिन शराब के बिना बिल्कुल नहीं हा हा..
उस दिन हर रोज की तरह तेज बारिश हो रही थी घर में जो भी बचा हुआ राशन था वह उसने बना लिया था और धर्मा के आने का इंतजार कर रही थी।
रात के 9:30 बजे धर्मा लड़खड़ाते हुए घर पहुंचा हाथ में शराब की बोतल और पूरा गले तक के ट्यून। उसकी हालत देख कर ही शांता समझ गई कि यह आज फिर से पी कर आया है। उसने गुस्से में उससे पूछा
शांता : घर का राशन कहां है और दोनों बच्चों के रेनकोट
धर्मा : ए चुप चल सामने से हट बड़ी आई हिसाब किताब लेने वाली मुझे जाने दे। एक थप्पड़ में तेरा सारा होलिया बिगाड़ दूंगा मैं। बता रहा हूं बात मत कर मेरे से
धर्मा हर दिन की तरफ जाकर बिस्तर पर लेट गया ।
उस दिन बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी पानी नहीं रुकने के कारण उनकी झोपड़ी के ऊपर से पानी टपकने लग गया ।
यह देख कर उसकी बड़ी बेटी रेणु ने एक बर्तन लाया और उसके नीचे रख दिया लेकिन इस बार बारिश किसी बच्चे की तरह हो गई थी वह बरसती जा रही , थी वह बरसती जा रही थी।
दो दिन इसी तरह बीत गए और इधर घर में खाने का एक दाना नहीं। दोनों बच्चियों का भूख के मारे बुरा हाल था। लेकिन वह अपनी मां से कुछ नहीं कहती और ना ही किसी से मदद मांग सकती थी क्योंकि पूरी बस्ती पानी पानी हो गई थी।
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शांता : मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई बच्चों जो मैं इन पर फिर से विश्वास कर बैट्ठी और उन्होंने फिर से मेरा विश्वास तोड़ दिया यहां मेरी दोनों बेटियां भूख से बिलख रही है और यह है कि शराब के नशे में धुत पड़े हुए हैं ।
लगातार बारिश के कारण अब तो घरों के अंदर भी पानी घुसने लगा था सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया था। अब तो यह बरसात का पानी लोगों की जान का दुश्मन बन गया था ।
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शांता के घर में भी पानी पूरी तरह घुस गया था समझ नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें और क्या ना करें । उसने धर्मा को जगाने की खूब कोशिश करें लेकिन वह जागता जरूर लेकिन अपने पास रखी शराब की बोतल से दो घुट मारता और फिर सो जाता ।
इस बीच पानी का स्तर लगातार बढ़ते ही जा रहा था। अब उसकी दोनों बच्चे रेणु और मुन्नी को डर लगने लगा था। पूरी बस्ती से बचाओ बचाओ की आवाज आ रही थी।
रेणु : क्या हम लोग इस पानी में डूब के मर जाएंगे
मुन्नी : हां मां क्या हम लोग मर जाएंगे।
अपने दोनों बच्चों की बात सुनकर शांता को रोना आ रहा था लेकिन यह वक्त रोने का नहीं था हिम्मत से काम ले कर सब की जान बचाने का था।
शांता : कुछ नहीं होगा बेटा कुछ नहीं होगा। थोड़ी देर में बारिश रुक जाएगा और सब ठीक हो जाएगा।
छोटे बच्चो की कहानियां |
लेकिन बारिश कहां हमारी बात सुनती है वह तो अपनी रफ्तार में ही हो रही थी छम छम छम छम । और आज तो पानी छतों तक भर गया था छत से टपक रहा था इस बीच धर्मा का नशा टूटा और वहां जग गया और उसे समझ आया अपने चारों तरफ देखने के बाद कि यह लोग बहुत मुसीबत में है ।
गरीब की बारिश – अच्छी अच्छी कहानी ,कहानी बताइए
धर्मा : शांता यह इतना सारा पानी हमारे घर में कहां से आया।
शांता : दो दिन से लगातार बारिश हो रही है।
इस बीच पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा था शांता ने अपनी दोनों बेटियों को अपने कंधे पर उठा लिया था। हमें यहां से बाहर निकलना होगा और किसी से मदद मांगनी होगी नहीं तो हम यही अपना दम तोड़ देंगे।
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पहली बार धर्मा की आंखों में मौत का खौफ दिख रहा था , और शायद उसे अपने कर्मों का पछतावा भी हो रहा था। उसने अपनी दोनों बेटियों को अपने कंधे पर बैठा लिया।
धर्मा : तू फिकर मत कर शांता मैं मर भी जाऊंगा लेकिन अपनी दोनों बेटियों को कुछ नहीं होने दूंगा। तू चिंता मत कर
अच्छी अच्छी कहानी |
तभी शांता की नजर एक टायर की ट्यूब पर गई जो पानी में तैर रही थी वो उसी का सहारा लेकर पानी में उतर गई और मदन ढूंढने लगी ।
दो दिन की भूखी प्यासी शांता किसी तरह से पानी में तैरती रही और मदद की गुहार लगाते रहे थोड़ी देर बाद उसे बचाव दल कि एक बोट नजर आई। उस बोर्ड पर बचाव दल के लोग भी थे उन्होंने भी शांता को देखा उन्होंने अपनी नाम है उसे बिठा लिया।
शांता : मेरे बच्चे , मेरे पति मेरे बस्ती के कई सारे लोग डूब रहे हैं अब जल्दी से चली और उन सब को भी बचा लीजिए। [दबी स्वर में हापते हुए कहती है]
Kahani Achi Achi |
बचाव दल का दास्तां शांता की बस्ती की तरफ निकल पड़ा ठीक समय पर बचाव दल के पहुंचने से कई लोगों की जान बच गई कई लोग डूब कर अपनी जान भी गंवा बैठे ।
बचाओ दल उन सभी को लेकर शरणार्थी शिविर में आ पहुंचे वहां उन सबको भोजन दिया गया सूखे कपड़े और रहने के लिए छत दी गई।
पहली बार धर्मा को भी भूख का एहसास हो रहा था इस बार की बारिश उसके लिए बहुत बड़ा सबक ले आई थी । और शांता के परिवार के लिए बहुत समय के दुख के बाद एक सुख का अहसास भी।
इस घटना के बाद धर्मा ने शराब छोड़ दी और वह दोनों मिलकर पाव भाजी का ठेला लगाने लगे और खुशी-खुशी रहते हैं।
––––समाप्त––––
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