अच्छी अच्छी कहानी - Desi Kahani , बच्चो की कहानियां सुनाओ

अच्छी अच्छी कहानी - Desi Kahani , बच्चो की कहानियां सुनाओ



आज की अच्छी अच्छी कहानी और Desi Kahani मे छोटे बच्चो की कहानियां आज हम पड़ेंगे । Kahani Achi Achi जिसमे हम आपके लिए आज तीन बच्चो की मजेदार कहानियां और New Kahaniyan लेकर आया है । Hindi Mein Kahani आजकी मनोरंजक है कहानी बच्चो की 


आज की बच्चों की कहानियां छोटे बच्चों और बड़े लोगों सब के लिए इसे हम नानी की कहानियां भी कह सकते हैं। Desi Kahani और अच्छी अच्छी कहानी सुनाओ


छोटे बच्चो की कहानियां नीचे दिए हुए Table Of Content के आधार पर आपको Desi Kahani बताई जाएगी 


TOC ( कहानी इन हिंदी विषय तालिका ) 

  1. काम करवाने का हुनर – बच्चो की कहानियां
  2. खामोश सहारा – अच्छी अच्छी कहानी 
  3. अपना अपना जीवन – Desi Kahani 
  4. बच्चो की कहानियां – Youtube Video


तो चलिए अब हम अपनी Kahani Achi Achi और Hindi Mein Kahani की पहली कहानी की ओर बढ़ते हैं ।


Desi Kahani - बच्चो की कहानियां ( छोटे बच्चो की कहानियां ) , Kahani Achi Achi



अच्छी अच्छी कहानी या कहानी अच्छी अच्छी की पहली कहानी – काम करवाने का तरीका कहानी बताइए

✭ काम करवाने का हुनर 


मेरे आलसी सो भाव से मेरी पत्नी काफी परेशान रहती है। कोई काम समय पर नहीं होता तो उसको गलत लगता है।


वह स्वयं भी इस तरह की है वह रही है कि सामने कोई भी काम हो तो तुरंत उसको समाप्त किया जाए उसके बाद ही कोई चाय कॉफी है बातचीत की जाए।


पत्नी जब जवान थी तो दौड़ दौड़ कर काम कर लेती थी चाहे वह घरेलू हो या खेती-बाड़ी या पशुपालन से संबंधित कोई भी काम कोई वृद्धावस्था की तरफ तेजी से अग्रसर होती रहती है।


वृद्धावस्था की तेजी से अग्रसर होती है पत्नी घुटनों के दर्द को देखते हुए 60 साल की उम्र में अभी भी अपना हौसला बरकरार रखे हैं। 


हाल ही में मुझ से काम करवाना कहा पत्नी जी ने नया तरीका ढूंढ लिया है। सीधे तौर पर तो वह कहां की है जी आप अपना काम करके आ जाओ इसके लिए वह शब्द प्रयोग करती है कि 'आपा' यानी हम दोनों फला काम करने चलते हैं।




पशुओं के बारे में चारा काटना हो या उन्हें नहला ना हो जैसे ही मैं काम शुरू करता हूं तो कोई ना कोई बहाना बनाकर जैसे मैं तो गैस जल्दी छोड़ आई आप तब तक यह करो मैं गैस बंद करके आई वह खिसक लेती है।


आना किसे किसी को नहीं मैं काम करके घर पहुंचता हूं तो जाते ही चाय या दूध पीने को देगी धीरे से मुस्कुरा देगी जैसे ही है उसकी विजय मुस्कान हो।


मैं भी प्रत्युत्तर मैं मुस्कुरा देता हूं कि एक आलसी इंसान से काम करवाने का होना उसने सिख ही लिया है, और इसी तरह रफ्ता रफ्ता जिंदगी भी गुजर रही है ।


पहली अच्छी अच्छी कहानी और छोटे बच्चों की कहानी इन हिंदी समाप्त होती है । Hindi Mein Kahani पढ़ते रहिए



Hindi Mein Kahani – अच्छी अच्छी कहानी , New Kahaniyan कहानी बच्चो की 



Desi Kahani और New Kahaniyan मे अब हम अपनी दूसरी कहानी खामोश सहारा कहानी बच्चो की ओर बढ़ते है।


✭ खामोश सहारा


जानते हो रवि, जब भी मैं विवेक के साथ इस रेस्तरां में आती थी के पापड़ी चाट था दीवाना था। कभी-कभार मैं भी खा लेती थी उसके साथ, पर मैं साउथ इंडियन डिश ज्यादा पसंद करती हूँ।' 


शांता ने मेन्यू देखते हुए कहा। रवि मुस्कराकर रह गया, पर उसकी यह मुस्कराहट सतही थी अंदर ही अंदर वह व्यथित हो गया।


शांता हर बात में विवेक को याद करती थी। पहले तो उसे लगा उसका कुछ ही दिनों पहले विवेक के साथ ब्रेकअप हुआ है अतः वह उसे याद करती है , पर यह जिक्र धीरे-धीरे घटने के स्थान पर बढ़ता चला गया।


रवि को अब नागवार गुजरने लगा था। आखिर कब तक वह एक्स बॉयफ्रेंड को बीच में लाती रहेगी।


 उसने बताया था कि लगभग सात वर्षों तक वह विवेक के साथ रिलेशनशिप में रही थी। बाद में किसी बात पर उनमें जमकर विवाद हुआ था, जिसकी वजह से ब्रेकअप हुआ। 


इसके बाद रवि के साथ उसकी दोस्ती हो गई थी। शेष बातें तो ठीक थीं पर बार-बार एक्स बॉयफ्रेंड की चर्चा करना उसे खलने लगा था।


प्रत्यक्षतः उसने कहा, 'नहीं, मैं सिर्फ कॉफी लूंगा।' शांता ने वेटर को इशारे से बुलाया और सांभर-वड़ा और एक कप कॉफी का ऑर्डर दे दिया। 


शांता ने यह तो नोटिस किया कि रवि कुछ अनमना-सा हो आया है, पर कारण उसकी समझ में नहीं आया।


इस बीच वेटर सांभर-वड़ा और कॉफी टेबल पर रख गया। 'तुम बीच-बीच में कहां खो जाते हो रवि?' शांता ने वड़े का एक टुकड़ा मुंह में डालते हुए पूछा। 'कहीं नहीं।


कभी-कभार दिमाग़ इधर-उधर चला जाता है' कॉफी सिप करते हुए उसने कहा। मन ही मन सोचा, 'तुम्हारे एक्स बॉयफ्रेंड के पास और कहां।' थोड़ी देर बाद इधर-उधर की बातें करने के बाद दोनों ने विदा ली।


रवि को शांता का हर बात पर विवेक की यादें ताजा करना बुरा लगने लगा था। रवि चाहता था कि उसके और शांता के बीच कोई और न आए, चर्चा में भी नहीं। शांता इस बात से अनभिज्ञ थी, अतः वह विवेक की चर्चा छेड़ बैठती थी।


एक दिन रवि अपने ऑफिस से बाहर निकल कर चाय की गुमटी पर खड़ा चाय पी रहा था। यह उस ऑफिस में काम करने वाले कई लोगों की दिनचर्या थी।


ऑफिस से लौटते वक़्त वे ज़रूर उस गुमटी पर आते थे और चाय पीते थे इसके बाद अपने घर जाते थे।


उसी समय उसकी सहकर्मी टीना भी आई। 'आओ टीना, क्या लोगी? चाय या कॉफी?' रवि ने पूछा – 'कॉफी।' 


टीना ने कहा और उसके कंधे पर हाथ रखकर खड़ी हो गई। 'और क्या चल रहा है? घर में सब ठीक?' रवि ने शांता और विवेक को अपने जेहन से बाहर निकालते हुए पूछा। 'हां, सब ठीक है।


बस कोरोना के प्रभाव से कई मित्र-रिश्तेदारों को काफी नुकसान हुआ है। आए दिन यही ख़बरें सुनते-सुनते मन उदास हो जाता है।'

टीना ने कहा फिर पूछा, 'पर मैं तुम्हें ज्यादा परेशान पाती हूं। कुछ विशेष बात है क्या? ऑफिस में भी खोए-खोए से रहते हो।


इस बीच रवि की चाय और टीना की कॉफी आ चुकी थी। दोनों हाथ में कप लिए चुस्कियां ले रहे थे। टीना के प्रश्न एक बार फिर रवि को शांता और विवेक की दुनिया में ले आए थे।


वह परेशान हो गया, पर प्रत्यक्षतः बोला- 'ऐसी कोई बात नहीं है।


'नहीं बताना चाहते हो तो कोई बात नहीं, पर बात तो है। वैसे मैं तुम्हारी कलीग हूं। शेयर करोगे तो मन हल्का हो जाएगा, और हां, मेरे पास से बात किसी और के पास
 नहीं जाएगी, यह मैं गारंटी देती हूं' टीना ने कहा।


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रवि ने टीना को गौर से देखा, मानो आकलन कर रहा हो कि व्यक्तिगत समस्या शेयर की जा सकती है या नहीं।


पिछले चार वर्षों से वह उसके साथ काम कर रहा था और प्रायः दफ़्तर से जुड़ी हर तरह की बातें उससे शेयर कर लेता था।


रवि के चेहरे पर असमंजस के भाव देख टीना ने कहा, 'नहीं बताना चाहते तो कोई बात नहीं।' फिर धीरे से बोली, 'यहां नहीं बताना चाहते तो सामने पार्क में चलो, एकांत में बैठ कर बातें करते हैं।


'चलो।' रवि ने कहा और गुमटी वाले को क्यूआर कोड स्कैन कर मोबाइल से भुगतान कर दिया।


गुमटी से दो सौ मीटर आगे चौराहे पर नगर निगम का पार्क था। पार्क ठीक-ठाक था। बैठने के लिए जगह-जगह पर सीमेंट की बेंच थीं।


सड़क किनारे वाले भागों में गाड़ियों की आवाजें आती थीं पर अंदर वाले हिस्सों में शांति रहती थी। एक बेंच पर दोनों अपने बैकपैक रखकर बैठ गए। 'हां बताओ क्या समस्या है?


टीना ने पूछा। 'यार मेरी गर्लफ्रेंड हर बात में अपने एक्स बॉयफ्रेंड की चर्चा करती है। मुझे लगता है वह दिल से उसी के पास है। यह बात मुझे हर पल सालती रहती है, रवि ने कहा।


'जैसा कि तुमने बताया था वह काफी दिनों तक अपने एक्स बॉयफ्रेंड के साथ रह चुकी है। ऐसे में कभी-कभार चर्चा करना ग़लत नहीं है।


मुझे नहीं लगता यह कोई बड़ी बात है,' टीना ने सहज होकर कहा। 'कभी-कभार चर्चा करना अलग बात है।


पर हर बात में? धीरे-धीरे उसकी यह आदत बढ़ती ही जा रही है। मैं जानता हूं कि वह मुझसे प्यार करती है लेकिन जब तक वह अपने बीते कल से बाहर नहीं आएगी मैं कैसे उसके साथ अपने रिलेशनशिप पर ध्यान दे सकता हूं।

क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा,' रवि चिंतित स्वर में बोला।

टीना कुछ देर सोचती रही फिर बोली, 'देखो रवि, उसे समय दो, उसका साथ दो। अपने कल को एकदम से त्याग देना उतना आसान नहीं होता।


इसमें समय लगता है। वह अपने एक्स के बारे में तुमसे इतनी बात करती है इसका मतलब है कि वह तुमपर पूरा विश्वास करती है।


इस तरह की व्यक्तिगत बातें कोई उसी के साथ शेयर कर सकता है जिसे वह दिल से अपना मानता हो। मैं तुम्हें सलाह दूंगी कि उसे अपने एक्स के बारे में बातें करने दो। धीरे-धीरे वह बीते कल से बाहर आ जाएगी।


तुम्हारा ख़ामोश सहारा उसे बाहर आने में सहायता करेगा। मैं यह नहीं कह रही कि मैं जो कह रही हूं वही सही है। बस, विचार करके देखना।


यदि तुम उसे अपने एक्स की चर्चा करने के लिए मना करोगे तो उसे घुटन होगी और शायद वह तुम्हारे साथ इस तरह सामान्य बर्ताव नहीं कर पाएगी जैसा अभी करती है।'


रवि को टीना की बातें सही लगीं। आख़िर पूरा विश्वास करने के कारण ही तो वह एक्स की हर बात उसके साथ शेयर करती है। फिर नई यादें बनेंगी, तो पुरानी धुंधली पड़ती जाएंगी 'ठीक है।


बैंक यू टीना' रवि ने उठते हुए कहा। 'MOST WELCOME' टीना ने मुस्कुरा कर कहा। दोनों ने अपने बैकपैक उठाए और चल पड़े मेट्रो स्टेशन की ओर।

 
हमारी दूसरी Kahani Achi Achi और कहानी इन हिंदी समाप्त होती हैं।


छोटे बच्चो की कहानियां Kahani Achi Achi – Desi Kahani , कहानी इन हिंदी 



चलिए अब हम अपनी तीसरी Desi Kahani और अच्छी अच्छी कहानी पड़ते है ।


अपना अपना जीवन 


बैल को खूटे पर बंधा हुआ देखकर तोता व्यंग्य से हंसा–भाई तुम्हारे तो जीवन में ठाठ हैं। पूरे दिन हल खींचना पड़ता है।


किसान के डंडे भी खाने पड़ते हैं, तब जाकर तुम्हें चारा मिलता है। दिन की चिलचिलाती धूप भी तुम्हें अपनी पीठ पर झेलनी पड़ती है।


चारा खाते-खाते बैल रुका - तुम्हारी तरह सारा दिन दस दानों के लिए मीलों मारामारी तो नहीं करनी पड़ती। घर लौटने पर यह तो तय है कि पेट भरने के लिए पूरा चारा मिल जाएगा।


फिर जो चारा खिलाएगा, वह काम तो लेगा ही। बिना काम किए खाना भी ठीक नहीं है। तुम कोई काम नहीं करते।


चुपके सेकिसी के मक्के के खेत में घुस जाते हो। किसी के बाग़ में चोरी-छिपे जाकर फल कुतरने लगते हो। 'इस तरह खाने का अपना ही आनंद है।

तरह-तरह के बढ़िया फल खाने को मिल जाते हैं। अच्छे फल ढूंढने के लिए भी तो कर्म करना पड़ता है।


हमें जो आजादी मिली हुई है, उसका तो मजा ही कुछ अलग है। हम अपनी मर्जी के मालिक हैं। तुम अपनी मर्जी से कहीं भी नहीं जा सकते।


अपनी मर्जी का खा भी नहीं सकते। तुम्हारे मालिक जो चने की बढ़िया दाल खाते हैं, हम उनके आंगन में जाकर कुछ दाने उसमें से खा लेते हैं।


तुम्हारे आंगन के आम के पेड़ पर हर साल बढ़िया आम लगते हैं। तुमने कभी चखे भी नहीं होंगे। हमें देखिए-पके हुए आमों का आनंद हम सबसे पहले उठाते हैं।


तुम्हारे मालिक से भी पहले' तोते ने आंखें मटकाकर कहा। बैल कहां चुप रहने वाला था। 


वह अपने थूथन को हिलाकर बोला-'ठंड और बारिश में मुझे अलग कोठरी में बांध देते हैं। तुम्हें तो ठंड, बारिश और ओलों की मार झेलनी पड़ती है।


अरे भाई! हम भी किसी मकान के कोने में जाकर दुबक जाते हैं। हमारा भी समय कट जाता है। दिक्कत तो सभी के साथ है। हमें शिकारी मार गिराते हैं।


चिड़ीमार पकड़ कर पिंजरे में बंद कर लेते हैं। बाज भी झपट्टा मारकर हमें मारदेता है। आजादी मिली है तो उसकी कुछ क़ीमत तो चुकानी ही पड़ेगी।


आनंद और आजादी कोई मुफ़्त में थोड़े ही मिलते हैं?' तोते ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा-'खुली हवा में सांस लेने का आनंद ही कुछ और है।


'तुम सही कहते हो' बैल ने सिर हिलाकर कहा। ‘परंतु मेरा जीवन केवल मेरे लिए नहीं है। मैं जिस फसल को उगाने में मदद करता है, उससे पूरे परिवार का पालन-पोषण होता है।


मेरा मालिक मुझे चारा खिलाने के बाद ही खाना खाता है।


वह सुबह उठकर मुझे पहले चारा खिलाता है, तब ख़ुद कुछ खाता है। मेरा जीवन तुम्हारी तरह आजाद भले ही न हो, परंतु एकदम निरर्थक भी नहीं है।' तोते को बैल की बात सही लगी।


वह बोला, 'हम दोनों ही अपनी-अपनी जगह सही हैं। कुदरत ने हमारा जीवन जैसा बनाया है, हमें वैसा ही जीवन जीना है।


अच्छा चलता हूं' कहकर तोता फुर्र से उड़ गया। बैल बहुत देर तक सिर उठाए आकाश की तरफ़ देखता रह गया।


New Kahaniyan और hindi mein kahani की तीसरी कहानी समाप्त । कहानी सुनाओ


Hindi Mein Kahani और Desi Kahani – Youtube Video से 



अच्छी अच्छी कहानी के इस आर्टिकल में यूट्यूब वीडियो के माध्यम से हम आपके लिए "दोस्त " की छोटे बच्चों की कहानियां कहानी इन हिंदी लेकर आए हैं।


DESI KAHANI Conclusion :– 


हम आशा करते हैं कि आपको अच्छी अच्छी कहानी और Desi Kahani में बच्चो की कहानियां पसंद आई होगी । आज की Kahani Achi Achi और Hindi Mein Kahani छोटे बच्चो की कहानियां थी इसे अपने दोस्तो के साथ अवश्य शेयर करें और उन्हें भी New Kahaniyan कहानी इन हिंदी पढ़ने का मौका दे और कहानी सुनाओ

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