Moral Story In Hindi Desi Kahani- लड़कियों की कहानी

Moral Story In Hindi – अच्छी अच्छी कहानी हिंदी मे




आज की Desi Kahani और Moral Story In Hindi मे हम आपको आज अच्छी अच्छी कहानी , Hindi Mein Kahani मे दो छोटे बच्चो की कहानियां बताएंगे । जिसमे आचार , विचार और सिस्ताचार तीनो की जानकारियां उपलब्ध होगी । कहानी सुनाओ


बच्चो के लिए कहानियां मे पहली Hindi Mein Kahani है – जिद्दी रिद्धि की कहानी और दूसरी Desi Kahani या कहानी अच्छी अच्छी मे चूर्ण वाले चाचा की कहानियां है ।

तो चलिए अब हम अपनी Desi kahani और Moral Story In Hindi की कहानी सुनाओ की यात्रा शुरू करते है ।



Hindi Mein Kahani – Desi Kahani ( अच्छी अच्छी कहानी ) बच्चो के लिए कहानियां




जिद्दी रिद्धि की कहानी 



रिद्धि को अपने आठवें जन्मदिन पर पता चला कि बाजार इतना बड़ा होता कि कोई भी मनपसंद चीज खरीदी जा सकती है।

वह अपनी मां के साथ बाजार में जन्मदिन का सामान खरीदने आई तो उसने तरह तरह केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, टॉफी, एक से एक खिलौने, कपड़े, सजावटी वस्तुएं और वह सब सामान चमकती सजी-धजी दुकानों पर देख। 


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रिद्धि घर लौटी तो उसके सामने बाजार की वही सब चीजें घूमने लगीं, जो वह देखकर घर लौटी थी। चूंकि रिद्धि के पिता विदेश में थे, इसीलिए वे साल में एक बार ही अपने देश आते थे, रिद्धि की मां की माता पिता की भूमिका में थीं।


रिद्धि को पिता की कमी महसूस ना हो इसीलिए वे उसकी हर बात झट से मान लेतीं। इस आदत ने रिद्धि को जिद्दी बना दिया। वह पैसे का महत्व तो समझी नहीं, बस आए दिन कोई न कोई चीज की मांग करती और स्कूल से आने के बाद बाजार चलने की जिद करती।


बाजार में वह किसी भी दुकान पर कोई भी चीज पसंद आने पर वही खड़ी हो जाती और खरीदने के लिए जिद पर अड़ जाती। मां के समझाने का भी उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह बात बात पर मुंह बना लेती। 


Desi kahani
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मां प्यार से समझाती- देखो बेटी हर इंसान सब चीजें नहीं खरीद सकता। फिर आपके पास तो सभी जरूरी चीजें हैं। इतना सब होने के बाद भी यदि आप दु:खी हैं तो फिर मनपसंद चीजें दिलाने का क्या लाभ? 


रिद्धि जब देखती कि मां उसकी फरमाइश पूरी नहीं कर रही तो वह कभी पेन खराब चलने, तो कभी पेंसिल टूट जाने का बहाना बनाती, कभी स्कूल बस में खाने के लिए कुछ ले जाने और दूसरे बच्चों का उदाहरण देती और बाजार जाती।


मां हारकर रिद्धि के कहे अनुसार सब दिला तो देतीं, पर वे उसकी बिगड़ती आदत से चिंतित भी हो गईं। हालत यह हो गई कि जिस दिन रिद्धि की पसंद की चीज नहीं दिलाई जाती, उस दिन वह जमीन पर लोट- लोटकर  रोने लगती और हाथ पैर पटककर अपनी जिद पूरी कराती। रिद्धि की मां उसे सुधारने का उपाय सोचने लगीं। 


वे उसे बाजार ले जाते हुए और बाजार से घर लाते हुए अक्सर उसे समझातीं। मनपसंद चीजें मिल जाने पर रिद्धि खुश हो जाती और मां की हां में हां मिलाते हुए घर आ जाती, लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही स्थिति। एक दिन रिद्धि को उन्होंने सौ रूपये दिए और कहा कि आज यह पैसे आप खर्च करोगी।


जो- जो खरीदना हो खरीद लेना। रिद्धि बहुत खुश। वह तो आज भी सामान की पूरी सूची बनाकर लाई थी, लेकिन जब बाजार पहुंची और पहला सामान खरीदा, उसी में सौ रुपए खर्च हो गए। अब क्या करे? 


रिद्धि बाजार में ही मचल गई, नहीं मम्मी! और पैसे चाहिए और बहुत-सा सामान खरीदना है। मम्मी ने समझाया कि अब पैसे कहां से लाएं, जो दिए वो तो खर्च हो गए, पर रिद्धि को कोई अंतर नहीं पड़ा। 



Desi Kahani - लड़कियों की कहानी , हिंदी में कहानी सुनाओ



अब मम्मी को भी गुस्सा आ गया था वह उसे बिना कुछ दिलाये ही हाथ पकड़कर घर की ओर बढ़ने लगीं। हमेशा खिलखिलाने वाली, घर में हंसी बिखरने वाली रिद्धि चेहरे पर उदासी लिये रोते हुए घर तो आ गई, लेकिन मम्मी को ही रिद्धि का सुबकता चेहरा अच्छा नहीं लगा।


मां तो उसकी जिद इसीलिए पूरी कर देती थी कि एक ही बेटी है वह खुश रहे लेकिन जब पानी सिर से ऊपर चढ़ने लगा तो उन्होंने एक उपाय किया अगले ही दिन माने रिद्धि को तैयार होने को कहा और वे उसे पास ही की झुग्गी बस्ती में लेकर पहुंचीं।


Moral Story In Hindi
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रिद्धि ने देखा की बस्ती में कैसे बच्चे बिना महंगे खिलौनों के खेल रहे हैं कोई कपड़े की गेंद बनाकर खेल रहा है, कोई कंचे खेल रहा है। न महंगी झूले हैं ना अच्छे कपड़े, दो पेड़ों के बीच बंदी पुरानी साड़ी के झूले पर बच्चे झूल रहे हैं।


बिना किसी बर्तन के हाथ में रोटी-गुड़, अचार लेकर कोई बच्चा खा रहा है तो कोई बच्चा फूलों की माला बना रहा है झुग्गी बस्ती से निकलकर में एक मंदिर के पास पहुंचे जहां रिद्धि ने देखा कि भीख मांगते बच्चे मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं।


मंदिर के बाहर धोने में बढ़ रही खिचड़ी को पाकर और खाकर सब खुश हैं और भगवान की जय जयकार कर रहे हैं। रिद्धि की मां ने भी राजगीर के लड्डू खरीदे और रिद्धि के हाथों इन बच्चों के बीच बांट दिए। 



अभी तक और Moral Story In Hindi , Hindi Mein kahani में  ( जिद्दी रिद्धि की कहानी Desi kahani इसे पढ़कर आपको कैसा लगा पूरी कहानी के जरुरु बताये...! चलिए आगे बढ़ते है...!👇👀👇 



फिर दोनों फुटपाथ पर आ गए जहां बिछौना बनाकर कुछ गरीब बच्चे गुब्बारे बेच रहे थे। गरीब होते हुए भी उनके चेहरे खिले हुए थे। मैंने पूछा-रिद्धि गुब्बारा लोगे, रिद्धि ने ना में सिर हिला दिया। 


वह तो यह सब देखकर हतप्रभ रह गई। रंग-बिरंगे बाजार से हटकर ऐसा संसार भी है, पर उसने यहां कोई बच्चा रोते, मचलते, दु:खी होते नहीं देखा। सब मिलजुलकर खुशी से रह रहे हैं। 


Desi Kahani
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मां बोलीं- यह देखो, यह भी आपकी तरह ही बच्चे हैं इनके पास कुछ नहीं फिर भी कितने खुश रहते हैं, एक आप हो जो सब कुछ होते हुए भी दु:खी रहते हो। हमेशा और चाहिए और चाहिए की जिद करते हो। रिद्धि ने आज कुछ नहीं खरीदा और मां की बातें सुनती रही, सब चुपचाप देखती रह गई।


रिद्धि ने पहली बार दया, करुणा, समानुभूति और आनंद से साक्षात्कार किया। घर आकर रिद्धि अपनी मां से लिपट गई और बोली -अब मैं कभी जिद नहीं करूंगी। मां ने बच्ची का हृदय परिवर्तन होते देखा तो उसे गले से लगा लिया। 


अच्छी अच्छी कहानी निष्कर्ष :– 


Desi kahani मे रिद्धि जिद्दी इस कहानी का सार यह है कि जीवन का सबक कई बार पाठशाला में नहीं वास्तविक जीवन जीने में मिल जाया करता है।


चलिए अब हम अपनी Desi Kahani की दूसरी कहानी ( Hindi Mein Kahani ) की ओर बढ़ते है।



 [ दूसरी कहानी ]



छोटे बच्चो की कहानियां – चूर्ण वाले चाचा की कहानी इन हिंदी , Moral Story In Hindi




अब हम अच्छी अच्छी कहानियां , छोटे बच्चों की कहानियां चूर्ण वाले चाचा की कहानी पड़ेंगे कहानी सुनाओ

चूर्ण वाले चाचा 




Moral story in Hindi – Desi Kahani
Moral story in Hindi – Desi Kahani


एक छोटा सा कस्बा था। वह चूरन वाले चाचा की दुकान थी। वैसे तो उनका नाम शिवदयाल था, लेकिन सभी उनको चूरन वाले चाचा के नाम से जानते थे। सभी उनके चूरन के दीवाने थे।


एक और खास बात थी चाचा की वह थी उनकी लहलहाती,चमचमाती मेहंदी से रंगी लाल रंग की दाढ़ी। गली के बच्चे कई बार तो दाढ़ी देखने के लिए ही चूरन खरीद लेते थे। एक दिन छोटू ,वीरू और गोलू चूरन लेने गए चूर्ण लेने के बाद छोटू बोला।


छोटू: चाचा अपनी दाढी़ से एक बाल दो ना। 

चाचा: अरे बेटा, यह दाढी़ कोई ऐसी वैसी नहीं एक-एक बाल जादुई है....। 

गोलू: जादुई? वह कैसे चाचा?


शिवदयाल ने अपनी दाढ़ी से तीन बाल निकालकर तीनों बच्चों को दिए और बोला- 


चाचा: यह लो अपनी किताब में रख लेना, परीक्षा में अच्छे नंबर आएंगे..... 


बात सारे कस्बे में फैल गई और सभी बच्चे शिवदयाल के पास आकर दाढ़ी का बाल मांगने आने लगे। वार्षिक परीक्षा का समय आया, सभी बच्चे पढ़ाई में लग गए।


मेहनत के साथ-साथ, गुडलक भी चाहिए था और उसके लिए चाहिए थी शिवदयाल चाचा की दाढ़ी का बाल। गली के बच्चों ने आपस में सलाह की, क्यों न चूरन वाले चाचा की दाढ़ी काट ली जाए, एक साथ ही हमें सारे बाल मिल जाएंगे। 


योजना बनाई गई वीरू को कैंची चलाने की जिम्मेदारी दी गई। चाचा ऊंचा सुनते थे। कोई कुछ बोलता तो सिर ऊंचा करके जोर से कहते- तभी उनकी दाढ़ी सामने वाले के बिल्कुल पास आ जाती थी। बस इसमें बच्चों को अपना काम करना था।दूसरे दिन बच्चे शिवदयाल की दुकान पर पहुंचे। 


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वीरू: चाचा एक रुपैया का चूरन दे दो। 

चाचा:  हा बेटा अभी दिया


वीरू ने झट से हाथ आगे बढ़ाया, खर्च से कैंची चलाई, चाचा की दाढ़ी और वीरू के हाथ में आ चुकी थी। चाचा कुछ समझ पाते उससे पहले ही तीनों बच्चे नौ दो ग्यारह हो लिए। जब चाचा को समझ आया कि हुआ क्या है, उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया। 


चाचा: अरे पकड़ो पकड़ो, कोई तो पकड़ो इन बदमाशों को। अरे रे मेरी दाढ़ी काट ले गए....


यूं तो किसी की दाढ़ी काटना अपराध है सो शिवदयाल ने पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज करा दी।


Desi Kahani – कहानी सुनाओ
Desi Kahani – कहानी सुनाओ


अब बच्चे घबरा गए और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। डर के मारे मंदिर में जाकर छुप गए। मंदिर के स्वामी जी को पूरी बात सच-सच बता दी।


स्वामी जी ने तीनों को और समझाया कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है, परंतु वे यह भी जानते थे कि यदि पुलिस उन बच्चों को बाल सुधार गृह में ले गई तो तीनों का भविष्य खराब हो जाएगा, इसीलिए उन्हें किसी तरकीब से बच्चों को बचाना भी था। 



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वीरू आगे आकर बोला: पुलिस अंकल, चूरन वाले चाचा करते हैं कि उनकी दाढ़ी के बाल जादुई है, किताब में रखने से अच्छे नंबर आते हैं। वे एक बाल एक रुपए का देते हैं, इसलिए हमने सारे बाल एक साथ काट लिए।


छोटे बच्चो के लिए कहानियां
छोटे बच्चो के लिए कहानियां


पुलिस : क्यों चूरन के साथ-साथ दाढ़ी भी बेचने लग गए? 


शिवदयाल उत्तर दे पाता, उससे पहले ही तीनो बच्चे उसकी ओर बढ़े और बोले- (तीनों एक साथ) हमें माफ कर दो चाचा हमसे गलती हो गई। 


स्वामी: शिवदयाल माफ कर दो, पुलिस से अपनी शिकायत वापस ले लो। ये जादु की बात करके बच्चों को तुमने ही उकसाया है।


इस तरह बात रफा-दफा हुई। पर सभी को सबक मिल गया था, चूरन वाले चाचा को भी और बच्चों को भी कि कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।


Desi Kahani निष्कर्ष :– 


जैसा कि आप सभी ने देखा की चाचा के एक झूठ से ही उन्होंने अपने पैरो में कुल्हाड़ी मार ली । उसी तरह हमे भी जीवन में कभी कैसे भी परिस्थिति में झूठ नहीं बोलना चाहिए।


हम आशा करते हैं कि आपको आज की Desi Kahani , Moral Story In Hindi ( देसी कहानी मोरल स्टोरी इन हिंदी ) पड़कर पसंद आई होगी । अगर हां तो अच्छी अच्छी कहानी पढ़े और इस छोटे बच्चो की कहानियां को अपने प्रिय जनों के साथ अवश्य शेयर करें और उन्हें भी Desi Kahani पड़ने का अवसर प्रदान करें।  कहानी सुनाओ 

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